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“संस्कृत ! तुमची-आमची!” = (संस्कृत तुम्हारी –हमारी)

देववाणी संस्कृत --विश्वकी सबसे प्राचीन भाषा फिरभी सबसे अद्यावत भाषा! यह भाषा न केवल कई भारतीय भाषाओंकी जननी है अपितु कई इंडो-युरोपियन और इराणीयन भाषाओं की भी स्त्रोत भाषा है|
वेद, पुराण, उपनिषदों लेकर महाभारत, रामायण तक और बाण, भवभूती, भास ,कालीदास से लेकर आधुनिक रचनाओं तक संस्कृत भाषामे असंख्य ग्रंथोंका निर्माण हुआ है | संस्कृत भाषा को 5000 सालका दैदीप्यमान इतिहास है|
ऐसा कहा जाता है, संस्कृतिः संस्कृताश्रिताः भारतीय संस्कृती की नस-नस मे और भारत भूमी के कण-कण मे संस्कृत वास करती है| ज्ञानगंगा सर्वप्रथम और सर्वोत्कृष्ट प्रवाहित हुई वो भी संस्कृत मे ! जिवनके और संस्कृतीके सभी आयामों को स्पर्श करनेवाला मूलभूत साहित्य विश्वमे सर्वप्रथम संस्कृत भाषामे ही निर्माण हुआ|
वस्तुतः हमारी मायबोलीमे संवाद करते समय हम कई संस्कृत या संस्कृतजन्य शब्दोंका उपयोग हमारी रोजम-हाकी जिंदगी मे जाने- अनजानेमे करते है | भारत जैसे खंडप्राय देश को एक सूत्रमे बांधने की क्षमता केवल संस्कृत भाषा मे ही है | संस्कृत एक ऊर्जास्त्रोत है|
किन्तु विटंबना ये है की , अपने देशमे संस्कृत भाषा केवल वैदिक भाषा बनकर सिमट गयी है | इसे विद्वानो एवं विशेषज्ञों की भाषा मानकर इससे परहेज किया जाता है | वह केवल ग्रंथोमे बंदिस्त हो गयी | इसे एक मृतभाषा मानकर दुर्लक्षित किया जा रहा है |
आज आवश्यकता है, संस्कृत के विभिन्न आयामोंपर फिरसे नये तरिकेसे सोचने की ,इसके प्रति जनमानस मे जागृति लाने की आवश्यकता है क्योंकी संस्कृत हमारी संस्कृतिका प्रतिक है| संस्कृत की रक्षा एवं विकास के लिए कार्य करना और संस्कृत को फिरसे उसकी गरीमा प्रदान करना यह हर भारतीय का आद्य कर्तव्य है | इस प्राचीन विरासत को हमे पुनः प्रस्थापित करना होगा तभी इसका विकास एवं उत्थान संभव है|
इन सभी बातोंको जानकर हमारे देशमे संस्कृत के प्रचार , संवर्धन और जतनके लिए अनेक संस्कृतप्रेमी संस्थाये और व्यक्ती बडी निष्ठासे अखंड प्रयास कर रहे है| ऐसा ही एक प्रयास गोवा राज्यमे ,संस्कृत भारती गोवा, कौशलम् ट्रस्ट और पणजी दूरदर्शन के सहयोगसे आरंभ हुआ है,
ये एक अनोखा प्रयोग है | इस प्रयोगका नाम है---“संस्कृत ! तुमची-आमची!” (संस्कृत तुम्हारी –हमारी)
“ संस्कृत! तुमची-आमची!” -- ये है केवल संस्कृत भाषाको समर्पित ऐसी एक अनोखी संस्कृत धारावाहिका |
“ संस्कृत! तुमची-आमची!”-- एक छोटासा प्रयास है, दूरदर्शन जैसे आधुनिक और प्रभावी माध्यम व्दारा देववाणी संस्कृतभाषा को घर-घर मे पहुचानेका !
“ संस्कृत! तुमची-आमची!” -- कौशलम् ट्रस्ट, संस्कृत भारती गोवा और पणजी दूरदर्शन व्दारा पुरस्कृत यह धारावाहिका मंगलवार दिनांक 24 जून 2014 से प्रसारीत की जा रही है |
“ संस्कृत! तुमची-आमची!”-- यह धारावाहीका 12 भागोमे( Episode) माहमे एक बार, हर चौथे मंगलवारको शाम 5.30 से 6.00 बजे तक प्रसारीत की जाती है|
“ संस्कृत! तुमची-आमची!”-- इस धारावाहीका मे मुख्य सहभाग शालेय छात्रोंका, शिक्षकोंका, विद्वत और संस्कृतप्रेमी व्यक्तीओंका होगा|
“संस्कृत! तुमची-आमची!”-- इस धारावाहीकामे आप आनंद लोंगे गिर्वाणभारती की विविध झांकीयोंका ! इसमे साहित्य ,संगीत,नाट्य,और नृत्य आदि मनोरंजनात्मक कार्यक्रम के साथ–साथ आप ग्रंथपरीचय,चर्चा ,विचार मंथन, अंताक्षरी ,प्रश्नमंजुषा, प्रहेलिका इत्यादी विविध विषयोंका आस्वाद लोगे|
“ संस्कृत! तुमची-आमची!”-- इस धारावाहीका का संपूर्ण संचलन गोवा की राज्यभाषा कोकणी भाषा मे सादर किया जायेगा लेकिन सभी सेगमेंट का सादरीकरण (हर कार्यक्रम) केवल संस्कृत भाषामे ही प्रस्तुत किया जायेगा |

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